1.चतुर खरगोश (bacchon ki kahaniyan)
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में चार खरगोश रहते थे। ये खरगोश बहुत ही चतुर थे और गाँववालों के बीच में अपनी बुद्धिमता के लिए मशहूर थे। गाँववाले उन्हें बहुत ही प्यार से बुलाते थे “चतुर खरगोश”।
चतुर खरगोश ने गाँव के आस-पास के खेतों में बड़ी शानदार सब्जियाँ उगाने का काम किया करते थे। वे अपने काम में बहुत ही मेहनती और उत्साही थे। एक दिन, गाँव के सभी खरगोश एक सम्मेलन के लिए मिले। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था कि कौन सा खरगोश सबसे चतुर है।
सम्मेलन में अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। एक प्रतियोगिता में खुदाई की जाती थी, तो दूसरी में तेजी से दौड़ाई जाती थी, और तीसरी में बुद्धिमत्ता का परीक्षण लिया जाता था।
चतुर खरगोश ने सभी प्रतियोगिताओं में भाग लिया और हर बार जीत हासिल की। गाँव के लोग उनकी चतुराई को देखकर हैरान रह गए।
अंत में, सम्मेलन के अंत में, एक बड़ा स्वर्ण पुरस्कार था जो सबसे चतुर खरगोश को मिलेगा। सभी खरगोश बड़े उत्साह से स्वर्ण पुरस्कार की प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे।
फिर, एक आधे घंटे बाद, जब परिक्षण समाप्त हुआ, चतुर खरगोश को स्वर्ण पुरस्कार मिला। गाँव के लोग खुशी के मारे उछलने लगे। चतुर खरगोश ने सबको दिखाया कि बुद्धिमानी से ही किसी को भी आगे बढ़ा जा सकता है।
इसके बाद, गाँववाले चतुर खरगोश की सराहना करने लगे और उनकी सीख से प्रेरित होकर अपने काम में मेहनत करने लगे। इस प्रकार, चतुर खरगोश ने गाँववालों के दिलों में जगह बना ली और उनकी कहानी गाँव के छोटों के बीच में प्रसिद्ध हो गई।
2.चार मित्र व शिकारी ( bacchon ki kahaniyan )
बहुत समय पहले की बात है, एक अच्छे खेतीबाड़ी के पास एक सुंदर और हरित प्राकृतिक वातावरण वाला गाँव था। गाँव में एक साथ चार अच्छे दोस्त रहते थे – राज, विक्रम, सुरज, और अजय। इन चारों का एक ही शौक था – शिकारी बनना।
गाँव के पास जंगल था, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के जानवर रहते थे। चारों दोस्त रोजाना खेती के काम के बाद मिलकर जंगल जाते और अपने शिकारी कौशल को सुधारते थे।
एक दिन, चारों दोस्त ने मिलकर नए शिकार की खोज में जंगल का सफर किया। वहां उन्होंने एक बड़े से सिंह का पीछा किया। सिंह बड़ा, शक्तिशाली और खतरनाक था। लेकिन चारों दोस्त उसकी बड़े धैर्य और बुद्धिमत्ता से सिरा निभाने का प्रयास करने का निर्णय लिया।
राज, विक्रम, सुरज, और अजय ने मिलकर एक योजना बनाई कैसे वे सिंह का शिकार करेंगे। उन्होंने अपने विचार विनम्रता से आपस में साझा किए और अच्छी तरह से योजना बना ली।
अगले दिन, चारों दोस्त वहां पहुंचे और अपनी योजना को अमल में लाने के लिए तैयार हो गए। वे अपने दम पर सिंह के पास पहुंचे और उसका शिकार करने के लिए तैयार रहे।
सिंह ने उन्हें देखकर आक्रमण करने की कोशिश की, लेकिन चारों दोस्तों ने अपनी बुद्धिमत्ता और सामंजस्य से उसे मोहित कर लिया। उन्होंने सिंह को धीरे-धीरे एक ऐसी स्थिति में ले जाया जहां वे उसे संजीवनी वटी से ज्यादा प्राकृतिक द्रव्यों से भरपूर मिल सकते थे।
चारों दोस्तों ने अपने सामर्थ्य और साहस का परिचय दिखाया और उन्होंने सिंह को सफलता से शिकार किया। इसके बाद, वे गाँव वापस गए और अपने दोस्तों के साथ इस अनुभव का समर्थन किया। उन्होंने सिखाया कि सहयोग और बुद्धिमानी से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। गाँववालों ने चारों दोस्तों को गर्व से देखा और उनके बुद्धिमानी को सराहा। इसके बाद से, चारों दोस्त और भी अच्छे दोस्त बन गए प्रशंसा की गई। गाँववाले चारों दोस्तों की शिकारी कौशल में मुग्ध रह गए और उनसे अपने बच्चों को भी शिक्षा प्राप्त करने का आदर्श माना गया।
चारों दोस्त ने यह सिद्ध किया कि शिकार करने का खेल ही नहीं, बल्कि अगर सही योजना बनाई जाए और साथ मिलकर काम किया जाए तो हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उन्होंने साबित किया कि मित्रता और समर्थन का महत्व अद्भुत है और एक समृद्धि भरा समुदाय कैसे बन सकता है।
चारों दोस्त ने गाँव में एक ऐसा माहौल बनाया जिसमें लोग साथ मिलकर एक दूसरे की मदद करते थे और सामाजिक समृद्धि की दिशा में काम करते थे। वे गाँववालों के बीच में एक आदर्श बन गए और उनकी कहानी गाँव के छोटों के बीच में प्रेरणा का स्रोत बन गई।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मित्रता, साहस, और सामर्थ्य के साथ-साथ बुद्धिमानी भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। चुनौतियों का सामना करने के लिए सही दिशा, योजना और दृढ़ संकल्प के साथ किया गया हर काम सफल हो सकता है।
3.(chotte bacchon ki kahaniyan)
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बेवकुफ गधा रहता था। यह गधा अपनी बेवकुफी के लिए पूरे गाँव में मशहूर था। लोग उसके साथ मजाक उड़ाते और कभी-कभी उसकी बेवकुफी का फायदा उठाते थे।
एक दिन, गधा गाँव के एक अच्छे खेतीबाड़ी से मिला। खेतीबाड़ी ने उससे कहा, “बहुत समय से सुनता हूँ कि तू बहुत ही बेवकुफ है, क्या यह सच है?”
गधा हँसते हुए बोला, “हाँ, बिलकुल सच है! मैं एक बेवकुफ गधा हूँ, लेकिन मुझे इसमें कोई दुख नहीं है।”
खेतीबाड़ी ने कहा, “तू इतना बेवकुफ क्यों है?”
गधा ने उत्तर दिया, “मुझे खुश रहना है और मैंने देखा है कि लोग मेरी बेवकुफी पर हँसते हैं, तो क्यों नहीं हंसूं? मेरे पास कुछ भी हो सकता है, लेकिन मैं हमेशा खुश रहता हूँ।”
खेतीबाड़ी ने समझाया, “लेकिन बेवकुफ रहकर तू अपने लिए कुछ भी अच्छा नहीं कर सकता।”
गधा हँसते हुए बोला, “मेरी बातों में भी एक बात सच है – जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमें कभी-कभी बेवकुफ बनना पड़ता है। लोग हमें सिखाते हैं और हम खुश रहकर उनकी हंसी बढ़ाते हैं।”
खेतीबाड़ी ने गधे की बातों को सुनकर सोचा कि कभी-कभी हंसी और आत्मसमर्पण का महत्व होता है। वहने उस गधे से कहा, “तू बहुत ही अजीब है, पर मैंने तुझसे कुछ सीखा है।”
इसके बाद, गधा और खेतीबाड़ी एक-दूसरे के साथ दोस्ती करने लगे और गधा हमेशा हंसते रहकर अपने आस-पास की खुशियाँ बढ़ाता रहा। लोग उसे बेवकुफ कहकर हंसते रहते थे, लेकिन वह खुश रहने का नाम बना लिया था।
4.शरारती बंदर (bacchon ki kahaniyan hindi me)
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बहुत ही शरारती बंदर रहता था। इस बंदर का नाम बूँदू था। बूँदू को अपने जंगल में सभी जानवरों के बीच में बहुत ही लोकप्रिय बना दिया गया था, लेकिन उसकी शरारतें भी बहुत ही मशहूर थीं।
एक दिन, बूँदू ने जंगल के बाकी जानवरों को एक अजीब सी खेल खेलने का प्रस्ताव दिया। उसने कहा, “हम एक अनूठा गोली बनाएंगे और जिसके सामने यह गोली आएगी, वह जीता है!”
जंगल के बाकी जानवर इस चुनौती को स्वीकार करने में संतुष्ट हो गए। उन्होंने मिलकर एक बहुत ही सुंदर गोली बनाई और खेल शुरू हुआ।
पहले चरण में, बूँदू ने अपनी शरारतों से गोली को अपनी ओर मोड़ लिया और उसे अपने ही पैर से छूने की कोशिश की। बाकी जानवर हंसते हुए देख रहे थे, लेकिन जल्दी ही वे समझ गए कि बूँदू ने उन्हें छल रहा है।
दूसरे चरण में, बूँदू ने एक वृक्ष के ऊपर चढ़कर गोली को वहां रख दिया। और फिर उसने सभी जानवरों से कहा, “अब तुम सभी को मेरे ऊपर आना होगा अगर तुम इस गोली को पाना चाहते हो!”
जंगल के अन्य जानवर चारों ओर बूँदू के आसपास आने लगे, लेकिन बूँदू ने वहां एक छिपी हुई गोली को तब्दील कर ली और उसने अचानक सभी की ओर देखते हुए कहा, “यह रही गोली! मैं जीत गया!”
बूँदू ने सभी को बेवकूफ बना दिया था और वह खुद ही हंसते हुए दौड़ा दिया। सभी जानवर हैरान रह गए और बूँदू की शरारत को देखकर हंसते हुए गुस्सा हो गए।
इस घड़ी में बूँदू ने एक महत्वपूर्ण सिख दी – अक्सर हँसी और मज़ाक से ही हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है। इसके बाद से, जंगल में सभी ने बूँदू की मेहनत को सराहा और उससे शिक्षा ली कि जीवन को हंसी और प्रसन्नता से जिए जा सकता है।
5.साधु की पुत्री(bacchon ki kahaniyan)
बहुत समय पहले की बात है, एक प्राचीन गाँव में एक साधु अपने आश्रम में तपस्या और साधना कर रहा था। उसका एकमात्र संतान, एक सुंदर सी बच्ची थी, जिसका नाम अनुरागा था।
अनुरागा ने बचपन से ही अपने पिताजी की तपस्या और ध्यान का साथ दिया। वह बड़ी ही सीधी-साधी और पवित्र सोच वाली थी। उसने अपने पिताजी से धर्म, सेवा, और सत्य के महत्व का सिखाना प्रारंभ किया था।
एक दिन, साधुजी ने अनुरागा से कहा, “बेटा, तुम्हें आगे बढ़कर लोगों की मदद करना है। तुम्हारा धर्म है सेवा करना, और मैं जानता हूँ कि तुम इसे बहुत अच्छे से करोगी।”
अनुरागा ने अपने पिताजी की बात मानी और उसने आश्रम से बाहर निकलकर लोगों की सेवा करना शुरू किया। वह गाँव के लोगों के बीच एक सहानुभूति और सेवाभावना की भावना फैलाने लगी।
एक दिन, गाँव में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हुई। एक बड़ा जलस्तर बनने के कारण गाँव के कई घर डूब गए थें। लोग चिंता में थे और साधुजी की संतान, अनुरागा, ने इस समस्या का समाधान निकालने का निर्णय किया।
अनुरागा ने लोगों को एकजुट होकर कई दिनों तक मिलकर काम किया। उसने एक नया सिर्फ़ेरी बनवाई, जिससे जलस्तर का पानी समाहित हो सकता था। उसने लोगों को बातचीत में मिलावट की भी शिक्षा दी और समस्या का हल निकाला।
इसके बाद, लोगों ने अनुरागा की मेहनत, सेवा भावना, और समाज में एकता की भावना की सराहना की। उसकी बेहद सीधी और निष्कलंक सोच ने गाँव को एक नई ऊचाई दिखाई। अनुरागा ने साधुजी के उपदेशों को आमल में लाकर गाँव को समृद्धि और सम्मान में नया मोड़ दिया।
बूढ़ा गिद्ध(bacchon ki kahaniyan)
एक सुनसान और शांत जंगल में, एक बूढ़ा गिद्ध अपनी आकाशीय उड़ानों की खोज में अपना समय बिता रहा था। वह अपने उम्र के बवाल से भरे पंजों को लेकर भी उत्साहित और जिज्ञासु दिखता था।
इस गिद्ध का नाम गुरुप्रसाद था, और वह अपनी जीवनयात्रा को और भी मजबूत बनाने के लिए हर समय नए अवसरों की तलाश में था। गुरुप्रसाद का दृष्टिकोण था कि उसकी उम्र बढ़ने के बावजूद भी, वह नए सीखने और अनुभव करने के लिए कभी भी तैयार रहता था।
एक दिन, जंगल में एक छोटा सा कुछियारा मिला। गुरुप्रसाद ने देखा कि उसमें एक छोटी सी बच्ची गिधड़ी है, जो अपनी माँ के साथ खो गई हुई थी। उसने तुरंत उस छोटे से कुछियारे को अपने पंजों में छुपाकर ले जाने का निर्णय किया।
गुरुप्रसाद ने अपनी आकाशीय उड़ानों की छोटी सी बच्ची को सिखाया कि कैसे आसमान में उड़ने का सीधा तरीका होता है और कैसे अपनी माँ के साथ सुरक्षित रहना चाहिए।
गुरुप्रसाद की बुद्धिमत्ता और सहानुभूति ने छोटी सी गिधड़ी को उसकी माँ के पास सुरक्षित लौटा दिया। इस अद्भूत क्रिया ने गुरुप्रसाद की सीखों को और भी मजबूत बनाया और उसने जीवन की मूल्यवान सीखों को बच्चों के साथ साझा करने का निर्णय किया।
बूढ़ा गिद्ध गुरुप्रसाद की सागर सी जानकारी और अनुभव से भरी शिक्षा ने जंगल में नई पीढ़ी को प्रेरित किया और सिखाया कि जीवन की हर स्तिथि में सीखा जा सकता है और शिक्षा का सफर कभी समाप्त नहीं होता।
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